वाह जिंदगी...

दिवाली, भाई दूज और भी कई त्योहार, त्योहारों का मौसम है। दिल्ली तो बिल्कुल सज चुकी है। हर बाजार, गली-दुकानें बस खूबसूरत साजो सामानों से सजी है। अच्छे घरों के लोग बाजार में भीड़ जमाए बैठे हैं। शहर का एक नजारा तो ये है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से एक नजारा बहुत खटक रहा है। मैं नहीं कहती आपने नहीं देखा होगा, या ये कोई नई बात है, लेकिन त्योहारों के वक्त ये ज्यादा चुभता है।


इस टेलर को देखें, जीवन का एक रंग ये भी है। रात के 10 बज रहे हैं, इसके पास लाइट तक नहीं है, आंखों को जोखिम में डालकर रात दस बजे तक रोजाना यूंही कपड़े सीता है। पूछा तो जवाब मिला, ये नहीं करूंगा तो आज रात खाऊंगा क्या। मतलब जहां दुनिया मस्ती में व्यस्त है। वहां ये दर्जी जीवन का एक और रंग दिखा रहा है। सड़क पर अपने जीवन के संघर्ष को जी रहा है। वाह जिंदगी...

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट