आईए मिलते हैं जिंदगी से......

एक पल धूप तो दूसरे ही पल
छांव, कल रोना आया था, आज आंसूं ही नहीं आते, कल कुछ पलों को जी रहे थे, आज वे बस
यादें हैं, जहन में जिंदा हैं। हर चीज बदलती रहती है फिर भी कुछ चीजें वहीं रहती
हैं, उनकी जगह नहीं बदलती। हर चार छह महीने में मेरा कमरा बदलता गया, लेकिन डायरी
में लिखे वो पन्ने, वो वातें, वो लोग, वो भावनाएं वहीं रही। उनकी जगह नहीं बदली। मैं
रोज बदलती गई, समय के साथ-साथ मेरी सोच अलग होती गई। रोज गलतियां करती गईं और
सीखती गई। रोज रिश्ते बदलते गए, रोजाना नए लोग मिलते चले गए, कुछ आए कुछ गए। लोगों
के लिए जज्बातों में भी बदलाव होता गया, एक पल ये सोचा तो दूजे ही पल जीवन को अलग
नजरिए से देखना का आनंद मिला। ये नहीं पता कि मेरा नजरिया सही है या गलत, वे लोग
सही हैं या गलत। बस इतना पता है कि एक नजरिए से हटकर एक दूसरे नजरिए से देखने का
एहसास बदल गया। बदला नहीं तो वो आत्मसम्मान, वो संभावनाएं और वो पुराना आत्मविश्वास
वो यकीन और वही जज्बा जिनके साथ मैं यहां आई थी, जीवन को समझने एक पहचान बनाने। इन
के साथ के बगैर तो अधूरी थी मैं और आज भी अधूरी हूं मैं। जब भी टूटी-बिखरी इन्हीं
लोगों ने संभाला और कहा आगे चलों, बढ़ते रहो हम हैं ना। कौन कहता है मैं अकेली हूं
इस भीड़ में, हां लोगों ने पीछे छोड़ दिया मुझे भले ही, लेकिन मेरी डायरी के उन
पन्नों से निकल कर ये हमेशा मुझे हौसला देते रहे। कहते रहे हम कहीं नहीं गए हैं, यहीं
हैं तुम्हारे साथ हर पल। हर मुश्किल की घड़ी में तुम हमें अपने पास पाओगी। इस
अंजान शहर में तुम अकेली नहीं हो। तुम्हारा अतीत ही तुम्हारी ताकत है। इसे हारने और
शर्मिंदा मत होने देना, अपने अतीत को याद कर अपना भविष्य सवांरोगी।
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