उम्मीद

जानती हूं नहीं लौटोगे कभी, पास होकर भी जो रखा है इतना दूर..

बस एक इलतजा थी कहीं मिल जाओ राहों में तो एक अजनबी सी मुस्कान दे देना...

एक बार सुन लेना इन खामोश लबों की वो सदा जो रह गई है अधूरी.....


टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट